सफदरजंग मकबरे का इतिहास ( History of Safdarjung Makbra)
(मुगल सल्तनत की अंतिम बेमिसाल इमारत)
आज हम बात करेंगे सफदरजंग मकबरे के इतिहास के बारे में जो मुगलइतिहास से जुड़ा है। सफदरजंग भारत के मूल निवासी थे जिनका जन्म 17 से 8 ईसवी में हुआ था जन्म के कुछ वर्षों के बाद भारत आ गए थे उन्हें अवध के सूबेदार बना दिए गया था। 19 मार्च 1739 ओध के शासक के पद पर आसीन थे।मुगल साम्राज्य के वंशज बाकी दूसरे वंशजों सिर्फ बहुत समृद्ध और शक्तिशाली थे जिस कारण 1748 में उन्हें मुगल साम्राज्य के सम्राट के रूप में घोषित कर दिया गया था। मोहम्मद शाह के सम्राट बनने के बाद उन्हें सफदरजंग को साम्राज्य का प्रधानमंत्री बना दिया था। मोहम्मद शाह के शासनकाल में सम्राट में काफी गिरावट आ गई थी क्योंकि उसका शासन काल भारत तक ही सीमित रह गया था। प्रधानमंत्री के रूप में साम्राज्य की शक्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया था।
क्योंकि राजा जो था केवल अपने बारे में सोच रहा था। सफदरजंग ने अपनी शक्तियों का अधिक से अधिक उपयोग किया जिस कारण सम्राट के परिवार वाले वजीर से दुखी हो गए थे उन्होंने अपनी हिंदू मराठा संघ को बुलाया था कि वह अपने तानाशाही वाले वजीर से छुटकारा पा सके इसके बाद एक युद्ध हुआ। और 1753 ईस्वी में सफदरजंग को दिल्ली से बाहर निकाल दिया गया इसके कुछ समय पश्चात ही उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे नवाब शहजाद दौला ने मुगल सम्राट दिल्ली में अपने पिता के लिए एक मकबरे बनाने की अनुमति दी उसके बाद मुगल शैली में मकबरे का निर्माण करवाया गया।
सफदरजंग को लेकर कुछ रोचक तथ्य जानते हैं।
सफदरजंग का वास्तविक नाम मिर्जा मुकीम अबुल मंसूर खान था जिनका जन्म 1708 ईस्वी में पारस के जाने-माने परिवार में हुआ था। 1722 ईस्वी में सफदरजंग भारत आए थे। इसके कुछ सालों के बाद 1748 ईस्वी में मुगल सम्राट द्वारा प्रधानमंत्री बना दिया गया था। 1753 में एक युद्ध हुआ जिसमें बहुत से लोगों की जान चली गई जिसके बाद सफदरजंग को निकाल दिया गया और कुछ समय बाद उनकी मृत्यु की घोषणा कर दी गई। जिसके कुछ समय पश्चात 1754 में उनकी मृत्यु हो गई।
वर्ष 1754 ईस्वी में सफदरजंग के पुत्र नवाब सज्जाद उद दौला मुगल सम्राट से अनुमति लेकर दिल्ली में अपने पिता के लिए मकबरे का निर्माण शुरू कर दिया था। और इस वर्ष में पूरा बनाकर तैयार भी कर दिया था।
सफदरजंग और वास्तु कला (Safdarjung and Architecture)
सफदरजंग के मकबरे का निर्माण मुगल वास्तुकला में किया गया है। मकबरे की संरचना को एक वास्तुकार ने बनाया था। यह मकबरा लगभग 300 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसमें बगीचे और क्यारी के चारों तरफ से घिरा हुआ है।
इस प्रसिद्ध मकबरे में पत्थरों की जिन खूबसूरत पत्तियों का इस्तेमाल किया गया है उन्हें अब्दुल रहीम खानखाना की कब्र से लाया गया है।यह मकबरा चारों ओर से बैगन से घिरा हुआ है। जिनकी संख्या लगभग चार है जिनमें काफी मनमोहक पुष्प और पेड़ों को लगाया गया है। यह मकबरा दिल्ली में स्थित सभी उच्च मकबरों में से एक है। इसकी ऊंचाई लगभग 9 मंजिल है इस मकबरे में काफी रहस्यमई चीजे सम्मिलित है जिसमें सबसे रोचक पांच भाग वाले मुख्यातों के पीछे छिप हुई कद वाले एक मंच का रहस्य है।
सफदरजंग मकबरा की संरचना
इस मकबरे के कई प्रवेश द्वार सम्मिलितर पर इसका द् सबसे बड़ा प्रवेश द्वार जो है वह उत्तर दिशा में स्थित है। जो कि लगभग दो मंजिला ऊंचा है इस मकबरे में कई गुंबद भी बनी हुई है परंतु सबसे प्रमुख गुंबद केंद्रीय कक्ष के ऊपर स्थित है जो कि लगभग 28 वर्ग मीटर के क्षेत्रफ में बनाया गया है इस गुंबद के निर्माण में लाल और बादामी रंग का उपयोग किया गया है इस मकबरे का सबसे प्रमुख कक्षा केंद्रीय कक्ष जो की वर्गाकार है इस कर्कश के मध्य में सफदरजंग कब्र बनाई गई है वर्ष 1823 से 1826 के मध्य कोलकाता के विश्व रीजनल हैबर में मकबरे के भीतर हल्के भूरे रंगों को देखकर उनका परीक्षण किया और यह पाया कि कमरो को रंगने के लिए खाद्य पदार्थों के रंगों का प्रयोग किया गया है यह मकबरा मुगलों के द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारत में सबसे अंतिम है।
सफदरजंग मकबरा कैसे जाएं? (How to reach Safdarjung Tomb)
यदि आप दिल्ली में कहीं भी रहते हैं। और आपको सफदरजंग मकबरा घूमने आप आप मेट्रो बस से आराम से जा सकते हैं क्योंकि सफदरजंग में मेट्रो और बस स्टेशन आपको उपलब्ध मिले आप अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं और वहां घूम सकते हैं। आप को आकर्षित करती है अपनी तरफ और आपके बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं देख सकते हैं।
सफदरजंग जाने के लिए शुल्क (Fee to go to Safdarjung)
अगर आप सफदरजंग मकबरे के अंदर जाना चाहते हैं। तो आपको शुल्क देना पड़ेगा।
हिंदुस्तानियों के लिए ₹15 लगता है। और अगर आपको वीडियो ,फोटो लेना है तो आपको ₹25 और देना पड़ेगा
यीशु के लिए ₹200 का शुल्क लगता है।
सफदरजंग मकबरा हफ्तों के सातों दिन सुबह के 7:00 से शाम के 7:00 तक खुला रहता है आप किसी भी टाइम किसी भी दिन वहां जा सकते हैं और वहां घूमने का आनंद ले सकते हैं।
सफदरजंग को लेकर कुछ प्रश्न और उत्तर (FAQ About Safdarjung)
- सफदरगंज का निर्माण नवाब शुजा-उद-दौल्ला ने करवाया था ।
2. सफदरजंग का वास्तविक नाम क्या था?
सफदरजंग का वास्तविक नाम मिर्जा मुकीम अबुल मंजूर खान था।
सफदरजंग कहां स्थित है?
3.सफदरजंग दिल्ली में स्थित है।
सफदरजंग मकबरे का निर्माण कब शुरू किया गया था?
1719 ने निर्माण शुरू हुआ और 1748 में उसको बनाकर तैयार कर दिया गया।
सफदरजंग मकबरे में किस की खबर देखने को मिलती है ?
सफदरजंग मकबरे में मिर्जा मुकीम खान की कबर देखने को मिलती है।
- सफदरजंग मकबरा लगभग 300 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसमें बगीचे और क्यारी के चारों तरफ से घिरा हुआ है।
- इस प्रसिद्ध मकबरे में पत्थरों की जिन खूबसूरत पत्तियों का इस्तेमाल किया गया है उन्हें अब्दुल रहीम खानखाना की कब्र से लाया गया था।
- 1753 ईस्वी में सफदरजंग को दिल्ली से बाहर निकाल दिया गया इसके कुछ समय पश्चात ही उनकी मृत्यु हो गई।
- यह मकबरा मुगलों के द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारत में सबसे अंतिम है।
- इस मकबरे में काफी रहस्यमई चीजे सम्मिलित है जिसमें सबसे रोचक पांच भाग वाले मुख्यातों के पीछे छिप हुई कद वाले एक मंच का रहस्य है।

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